बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर ।
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ॥
कबीर
दास जी का यह दोहा बहुत ही मशहूर और
अत्यंत ही सारगर्भित है । इसका साधारण सा अर्थ तो यह है कि इस संसार मे बड़े (शक्तिशाली/समर्थवान) होने का तब तक कोई
महत्व नहीं जब तक की आप किसी के काम ना आएं । जैसे की खजूर का पेड़ ,जो बड़ा तो है पर किसी पथिक को छाया प्रदान नहीं कर पाता,
साथ ही इस पर लगने वाले फल भी ऊंचाई पर होने के कारण किसी को सुलभ नहीं हो पाते, अर्थात पथिक के लिए तो खजूर के पेड़ का कोई अधिक महत्व नहीं है ।
आज
संसार में बहुत से लोग हैं जिनको किसी से छोटे
से सहारे की जरूरत है, जीवन
मे आगे बढने के लिए तो वहीं इस संसार मे
ऐसे लोगों की भी कोई कमी नहीं है जो इन जरुरत मंदों की मदद चुटकियों मे कर के, इन के जीवन को संवार सकते हैं ,एक दिशा दे सकते
हैं , परंतु ऐसा
होता नहीं है । कारण इच्छाशक्ति की कमी,सतही सोच ,अरे...... रे... रे ऐसे कैसे मदद कर दें, इससे हमें क्या फायदा ,अपना सगा थोड़े ही है, हमने क्या दान खाता
खोल रखा है, जैसे
निम्न कोटि के विचार, जो इंसान को कमजोर और बीमार बना देते
हैं ।
भाई
साहब,पहले अपनी सोच बदलिए ,और मदद का हाथ आगे तो बढ़ाइए ,फिर देखिये आगे आगे होता है क्या ।
जब आप निश्वार्थ भाव से किसी की मदद करते
हैं तो आपके स्वयं के आगे बढने के दरवाजे स्वतः ही खुल जाते हैं । मदद पाने वाला सदा के लिए झुक
जाता है और कुछ पल अपने ईष्टदेव से आपकी भलाई की कामना जरूर करता है, जिसकी वजह से कोई तीसरा व्यक्ति आपकी जरूरत पर आपकी मदद को आगे आता है ,जिसका आपको पता नहीं चलता । लेकिन हमारी आपकी सोच उस व्यक्ति से मदद पाने
की होती है जिसकी आपने मदद की होती है, परंतु ऐसा अक्सर होता
नहीं है ,और जिसकी आपने मदद की होती है , उसे ही
कोसने लग जाते हैं,
जो कि सरासर गलत है,क्योंकि आपकी जरूरत पर आपको भी किसी ने मदद तो की थी । भाई साहब,
यह जीवन का गणित है , यहाँ दो और दो चार नहीं, बल्कि पाँच छे,.... कुछ भी हो सकता है । बस ,आपके कर्मों के हिसाब से परमात्मा
का आशीर्वाद आप पर होना चाहिए ।
मैंने अक्सर
अपने मित्रों को ऐसा कहते देखा है ,अरे छोड़ो यार यह सब किताबी
बातें है , हमने तो
एक की मदद की थी परन्तू वह तो बड़ा ही एहसान फरामोश निकला ,उसने तो हमें लगभग धोखा दे ही दिया था ,वो तो हमारे
भाग्य अच्छे थे, वरना ना , बाबा ना,इससे तो अच्छा होता की हम एक छोटा सा जानवर पाल लेते ,ज्यादा से
ज्यादा दो रोटी खाता, और घर के कोने मे पड़ा रहता ।
मेरे
दोस्त यहीं आप गलती कर रहे हैं, बड़े बनिए बड़े,
शरीर से नहीं मन से,
भावना से, विचारों से । माना की आप ने किसी राय साहब की मदद की परंतु जरुरत पड़ने पर राय साहब ने आपकी
मदद नहीं की ,जिसकी कोई भी वजह हो सकती है , लेकिन
आपकी जरुरत पर कोई सिंह साहब तो आगे आये
थे, यह क्यों भूल गए आप । किसने उन्हें आपकी मदद करने को
प्रेरित किया था ,कोई जवाब है आपके पास ? नहीं ना दोस्त ! हाँ, यहाँ लेना किसी से है और देना किसी को है । इस हिसाब को रखने वाला कोई और
है । हमारी भूल यही है की हम यह हिसाब खुद रखने लग जाते हैं। भाई साहब, ऐसी चमत्कारी घटनाएँ अक्सर इस जीवन मे हर किसी के साथ होती है परंतु इसे हम एक साधारण
सी घटना मान कर भूल जाते है , क्योंकि
हमारी आदत है अपनी करनी याद रखने की, औरों की करनी भूल जाने
की ।
संसार
के सभी व्यक्ति चाहे छोटे हों या बड़े सभी किसी न किसी देवी देवता या फिर भगवान को
मानते हैं ,अगर नहीं भी मानते है तो भी किसी
न किसी शक्ति को अपनी प्रेरणा मानते हैं, फिर चाहे वह घोर नास्तिक ही क्यों न हो ,और वही शक्ति या भगवान उनका
ईष्टदेव होती है । वह शक्ति जिसे आप मानते
है ,एक सर्वव्यापक शक्ति है,वही सबकी
करनी का लेखा जोखा रखती है ,और उसी अनुपात मे राय साहब या सिंह साहब
बनकर हमारी आपकी कर्मों के अनुसार , सहायता करती है ।
मूरख तो हम है जो आपसी दुनियादारी मे उलझे
हुये है तथा अपने आपको बड़ा समझे बैठे हैं।
बैठे बैठे सोचते हैं कि मैं बहुत शक्तिशाली हूँ, समर्थवान
हूँ , इसके बावजूद उसकी ये मजाल , उसने
मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया , देख लूँगा उसको मैं, मैं उसका वो हाल करूंगा की उसके पुरखे भी याद करेंगे, मैं उसकी ईट से ईट बजा कर रख
दूंगा, वगैरह ...वगैरह... सब निम्न कोटी की बेसिर पैर की बातें है।
भाई
साहब,हमें तो बस इतना ही करना है कि औरों की करनी याद रखें और अपनी करनी भूल
जाएँ ,फिर ये जो कुछ शिकवे शिकायतें हैं, सब समाप्त हो जाएंगी । हम,आप ही बड़े हो जाएंगे ,संसार अपने आप ही आपको बड़ा बना देगा । इसलिए सबसे अच्छा तो यही होगा ,कि हम अपने विचारों तथा कर्मों से
अपने आपको सही अर्थों मे बड़ा बनाने का प्रयास करें । भगवान हम सबको अच्छा और बहुत
बड़ा सोचने कि शक्ति दे जिससे ये हमारा
संसार बहुत ही प्यारा और सुंदर बन जाए ।
बड़ा सोच बड़ा ,बड़ा करने की सोचेगा तो बड़ा बन पाएगा ।
छोटी सोच, छोटा करने की सोचेगा तो छोटा ही रह जाएगा ॥
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