Saturday, 1 June 2013

अंडमान और निकोबार में

अंडमान और निकोबार में


अंडमान और निकोबार में
अनछुए सुंदर द्वीप है सारे ।
छोटे-छोटे प्यारे-प्यारे,
जैसे नील गगन के नन्हें तारे ।।

हरे भरे है जंगल सारे,
झर-झर झरते झरने प्यारे ।
लहर-लहर करती लहरें सारी
उधम मचाते हिरण है प्यारे ।।

जरवाओं की बात अलग है,
हृष्ट पृष्ट है काले नाटे ।
घुँघराले  से बाल है सर पे,
धनुष बाण से पहचाने जाते ।।

जंगली कंदमूल, फल, मछली,
भोज्य पदार्थ है सारे इनके ।
इन्हें सुअर का शिकार है प्यारा,
शहद मिल जाए तो फिर क्या कहने ।।

ओंगी और ग्रेट अंडमानी,
जरा उन्नीस बीस हैं इनसे ।
हृष्ट पृष्ट है काले नाटे पर ।
दिल के है सब भोले भाले ।।
                    
पढ़े-लिखे और समझदार,
आदिवासी है निकोबारी ।
आधुनिक परिवेश में कदम मिलाते,
समाज की मुख्यधारा में आन समाते ।।

                                
नारियल, केवड़ी, कच्ची मछली और,
सुअर भोज्य  पदार्थ हैं इनके प्यारे ।
होडी (नौका)रेस, फुटबाल, क्रिकेट,
खेल है इनके सबसे न्यारे ।।

शोम्पेन है गोरे-गोरे लम्बे,
मजबूत डौल और सुलझे-सुलझे ।
ग्रेट निकोबार के वासी ये,
निडर, निष्कपट और शर्मीले ।।

सेंटिनलीज है काले नाटे,
बाकी दुनिया से है कटे-कटे ।
संपर्क नहीं हो, पाया इनसे,
आदिम धनुषधारी है ये जनजाति ।।

खडा सेल्यूलर (जेल) सीना ताने,
कहता अमर शहीदों की कुर्बानी ।
जंजीर गुलामी की झटक सर्वप्रथम,
आज़ाद हुए द्वीप है, ये प्यारे प्यारे ।।

वीर सावरकर, लद्दा, सान्याल
और बाबा पृथ्वीसिंह आजाद जैसे,
अति महान शहीदों की कर्मभूमि
ये नन्हें-नन्हें द्वीप कमाल ।।

ज़र्रा-ज़र्रा इन द्वीपों का,
इनके खून से सना सान,
फिरंगी और जापानी बर्बरता
की करता निर्मम कथा बयान ।।

सर्वप्रथम लहरा के यहाँ तिरंगा
‘शहीद’ और ‘स्वराज’ द्वीप
कह गए द्वीपों को वीर सुभाष और,
जला गए इस क्रान्ति तीर्थ में अमर दीप ।।

भारत के कोने कोने की छाप
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम  की थाप
सभी द्वीप जनों   में  मेल मिलाप,
बाँट  रहें हैं अमन शांति का पैगाम ।।

अंडमान और निकोबार में,
मानवता प्रेम और सहयोग सारे,
कंठ तक लबालब भरे-भरे,
होती  भारत माता गदगद जिससे  ।।

अंडमान और निकोबार में
अनछुए सुन्दर द्वीप है सारे,
छोटे-छोटे प्यारे प्यारे
जैसे नील गगन के नन्हें तारे ।।


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