ओ शानदार,फ़ौलादी दीप स्तंभ,
हो खड़े कर्मवीर, तुम सीना ताने,
सागर की उत्ताल तरंगों में,
चिलचिलाती धूप और बहारों में,
चक्रवाती तूफान और घटाओं में,
पर रहते हो, तुम मौन सदा ।
नौचालन के हो, बेजोड खिलाड़ी,
भटकी किश्ती,और जहाजों के प्यारे,
घनघोर अँधियारे को, चीरती चमक तुम्हारी,
देख समंदर में भटके नाविक हर्षाते ।
रेकान और DGNSS से सागर मध्य,
जहाजों को उनकी स्थिति बताते ।
NAIS से समंदर में जहाजों को,
दोस्त और दुश्मन की,पहचान कराते ।
Navtex से मौसम और नौचालन की,
ताजा- तरीन सूचनाएं पहुंचाते ।
पर रहते हो तुम मौन सदा ।
देश विदेश से व्यापार में,
भूमिका कमतर नही तुम्हारी l
अंतर्राष्ट्रीय, सागर पर्यटन, देन तुम्हारी ।
सच पूछो तो तुम देश की GDP भी बढाते हो,
नई संभावनाएं और नई तकनीक तलाशते हो,
सारे जहां की जानकारी रखते हो।
पर रहते हो, तुम मौन सदा ।
पर रहते हो, तुम मौन सदा ।
- ओमकार नाथ मौर्य