Tuesday, 4 April 2017

आँख न दिखाना,ऐ दुनियावालो


आँख न दिखाना,ऐ दुनियावालो,
कि,धरा है,ये हिंदुस्तानी ।
कण कण है, इसका रक्तरंजित,
कि,धरा है,ये स्वाभिमानी ।
विश्वशांति ध्येय हमारा,
मित्र भाव रखते हैं सभी से,
मख़ौल न उड़ाओ,धैर्य का हमारे,
कब मिटा दें हस्ती तेरी,बूझ भी न पाओगे,
कि,धरा है ये बलिदानी ।
भीख मिले हथियारों पे,इतराओ न इतना,
कि,होती रही है,सदियों से हथियारों की  खेती यहाँ ।

शक्ति,भक्ति,बलिदानी रंग है,केसरिया,
है,रंग सफेद अमन और शांति का ।
उस पर चक्र अशोक,अनवरत उन्नति का,
रंग हरा है,हरियाली,समृद्धि का ।
कुछ बात समझ में आयी ।

हम है मनमौजी,
मौज में आ गए तो समंदर पर सेतु बना लें।
मन हुआ तो चाँद क्या,मंगल भी घूम आएं ।
अंतरिक्ष में उपग्रहों की लाइन लगा दें ।
जी में आया तो,मिसाइलें से ही दीवाली मना लें।
आपकी मिसाइल आपकी सीमा में ही फोड़ दें ।
अब कुछ बात समझ में आई बेटा जानी,
या करोगे अब भी वही नादानी ।

खुद मरो औरों को भी मारो,
ये क्या बात हुई भला ?
जन्नत नसीब नहीं होती ऐसे कर्मों से,
दूसरों की बगिया उजाड़ने से । 
अपनी जन्नत खुद बनानी पड़ती है ।
जन्नत बनती है,लगन,प्रेम और भाई चारे से,
अच्छे कर्मों से,अच्छे विचारों से ।
न कि बेकसूरों का खून बहाने से ।
इंसान का खून बहाने में बड़ाई नहीं है,
इंसान में इंसानियत जगाने में बड़ाई है ।

खुद जियो औरों को भी जीने दो ।
ये बात भली है।
जग ने इसको माना है ।
तू भी इसको समझ ले बेटा जानी ।
अब भी न समझे,तो समझा देंगे,
तुझको तेरी ही भाषा में,
हम हिंदुस्तानी ।

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