दक्षिणी अंडमान द्वीप के बिल्कुल दक्षिणी छोर पर,
समुद्र से तकरीबन 200 फीट की ऊंचाई पर, उत्तरी अक्षांस:11°28.80 तथा पूर्वी देशांतर 92°42.66 पर स्थित,मैं यानि चिड़िया टापू दीपसम्भ,
मुंडा पहाड़ नामक इस छोटी सी हरी भरी पहाड़ी पर ,आपका
स्वागत करता हूँ । यहाँ आसपास का दृश्य बड़ा ही मनोरम और रमणीय है। मेरे बाईं और
समुद्र का खुला विस्तार तथा दाईं और समुद्र मे कुछ ही दूरी पर काला पहाड़ (रटलैंड) द्वीप की विशाल पहाड़ी है
। कालापहाड़ के पास ही, थोड़ी दूरी पर नार्थ सिंक द्वीप स्थित है। इन दोनों द्वीपों के
मध्य जो संकरा सा समुद्री मार्ग है, उसे मैन्नर्स स्ट्रेट के नाम से जाना जाता है । पोर्ट ब्लेयर से
चेन्नई जाने और आने वाले जलयान अक्सर इसी
जलमार्ग का उपयोग करतें है।
दीपस्तंभ से समुद्र का दृश्य
यहाँ मुंडा पहाड़ पर सुबह और शाम का दृश्य बड़ा ही मनोहर होता है। बड़े सवेरे ही मेरे बाईं ओर दूर समुद्र मे,
क्षितीज पर,रात्रि की कालिमा को चीरते हुए,लालिमा
छाने लगती है और फिर धीरे धीरे गहरे नारंगी सूर्य देव का प्रकाश, समुद्र की विशाल जल राशि पर पिघले हुए सोने सा, चमकने लगता है। कुछ पलों का यह प्राकृतिक दृश्य, बड़ा ही सुंदर और रोमांचक होता है।
इसी प्रकार यहाँ पास के चिड़ियाटापू तट
की संध्या का दृश्य भी बड़ा ही मनोहर होता है । सामने की ओर काला पहाड़ (रटलैंड)
द्वीप की विशाल पहाड़ी के पीछे जब, सूर्य
देव अस्त होते हैं ,तो पीछे से आती हुई सूर्य देव की नारंगी
किरणे बड़ा ही मनोरम और अद्भुत दृश्य
प्रस्तुत करतीं है ।अंडमान आने वाले सैलानियों का यह मुख्य आकर्षण केंद्र
है । सैलानी दिन मे समुद्र तट पर जलक्रीड़ा
का आनंद उठाते है, तो थोड़ा वक्त मेरे यानि चिड़िया
टापू दीपस्तंभ लिए भी निकाल लेते हैं,और वापसी
मे संध्या काल के इस मनोरम दृश्य का भी आनंद लेते हुए वापस हो लेते है । यहाँ की शाम देखने के लिए सैलानी काफी संख्या मे आते हैं ।
चिड़िया टापू का समुद्र तट
पोर्ट ब्लेयर से सड़क मार्ग द्वारा चिड़िया टापू गाँव पहुंचा जा सकता है ,बस की सुविधा भी उपलब्ध है । रास्ता करीब 30 किलो मीटर लंबा और
घुमावदार है, और तकरीबन पैंतालीस से पचास मिनट मे पूरा हो जाता है । अंतिम
पन्द्रह मिनट का रास्ता पूरी तरह से
संरक्षित वन क्षेत्र मे आता है । संरक्षित
वन क्षेत्र मे पेड़ पौधों की हरियाली और प्राकृतिक सुषमा मे मन कहीं खो सा जाता है । चिड़िया टापू मे वन विभाग का अतिथि गृह तथा बाइलोजिकल पार्क भी
है । बाइलोजिकल पार्क मे विभिन्न जंतुओं
और पक्षियों को उनके प्राकृतिक आवास मे देखा जा सकता है । चिड़िया टापू का यह संरक्षित वन 46 विभिन्न किस्म के
पक्षियों (हेंगिंग पैरट,एमराल्ड
डव , लॉन्ग टेल्ड एंड रेड ब्रेसटेड पैराकीट्स ,व्हाइट
बेललिड इगल्स ,इंपीरियल ग्रीन पिजन इत्यादि) का आवास स्थल है । यहाँ से करीब दस मिनट का पहाड़ी रास्ता, आगे को जाता है, और
चिड़िया टापू समुद्र तट पर निकलता है । सैलानी यहाँ पर जलक्रीड़ा का आनंद उठाते हैं । वन
विभाग के लोग भी सैलानियों की मदद के लिए उपलब्ध रहते हैं । यहाँ से करीब डेढ़
किलोमीटर की यात्रा ,संकरी वन आच्छादित पगडंडी और
पहाड़ी से होता हुआ मुझ तक पहुंचता है । ये पैदल यात्रा करीबन बीस से तीस मिनट मे
पूरी होती है । इस रास्ते पर चलते हुए थोड़ी दूरी पर ऊंचाई पर पहुँचने के बाद खुले समुद्र का विहंगम विस्तार दिखाई पड़ता है । यहाँ पर कुछ देर
विश्राम करते हुए, इस दृश्य का आनंद लिया जा सकता
है। झींगुरों और पक्षियों का कलरव यात्रा
के आनंद को बढ़ा देता है । इसी छोटी सी पहाड़ी को स्थानीय लोग मुंडा पहाड़ के नाम से
जानते है । पोर्ट ब्लेयर शहर से काफी नजदीक होने कारण
अक्सर लोग पिकनिक या आउटिंग के लिए आते रहते हैं
।
दीपस्तंभ को जाने का रास्ता
मुंडा पहाड़ की इस पहाड़ी
पर मेरी इस पन्द्रह मीटर ऊंची काया
का निर्माण कार्य 4 फरवरी
2009 को आरंभ हुआ । 11 नवंबर 2009 को मेसेर्स टाइडलैंड निर्मित प्रकाशीय उपकरण की स्थापना की
गई । जिसके उपरांत नोएडा मुख्यालय से महानिदेशक महोदय ने भी यहाँ का दौरा किया और
कार्य सही ढंग से पूर्ण होने पर सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को बधाई दी ।
चिड़िया टापू दीप स्तम्भ
दिन मे मेरी पहचान चिह्न ये काली सफ़ेद पट्टियाँ है जो काफी दूर तक
दिखाई देती है , और रात्रिकालीन अंधेरे मे मेरी पहचान मेरे प्रकाशीय उपकरण से निकलता हुआ प्रकाश है, जिसका अंतराल एक सेकेंड प्रकाश,
एक सेकेंड अंधेरा, एक सेकेंड प्रकाश, सात सेकेंड अंधेरा, कुल 10
से केंड (1F+1E+1F+7E=10 Sec.)। फिर
इसी अंतराल पर पूरी रात मैं अपनी पहचान प्रकाशित करता रहता हूँ । मेरी ऊर्जा का
श्रोत सौर ऊर्जा है, जो 12 वोल्ट 70 वाट के सोलर पैनल
द्वारा दिन मे सूर्य की किरणों द्वारा उत्सर्जित होती है,
तथा 12 वोल्ट 100 एम्पियर आवार की लेड एसिड रख रखाव मुक्त बैटरी मे संरक्षित होती है । यही संरक्षित ऊर्जा अंधेरे मे
प्रकाशीय उपकरण द्वारा उत्सर्जित होती है जो समुद्र मे तकरीबन 20 समुद्री मील तक
दिखाई देती है । 29 जून 2011 को प्रकाशीय
उपकरण मे खराबी आ जाने के कारण मेसेर्स एम एस एम निर्मित प्रकाशीय उपकरण की स्थापना की गई जो अभी तक कार्य कर रहा है । मेरे
यहाँ स्वचालित सूचना प्रणाली भी लगी हुई है जिसके द्वारा मेरे विभाग के पोर्ट ब्लेयर क्षेत्रीय
मुख्यालय मे ऊपर लगे प्रकाशीय उपकरण,बैटरी
अथवा सोलर पैनल मे आई खराबी की सूचना प्राप्त हो जाती है । पोर्ट ब्लेयर क्षेत्रीय
मुख्यालय मे सूचना प्राप्त होते ही तुरंत ही इन सब खराबियों को दूर करने की
प्रक्रिया आरंभ हो जाती है, और बहुत
कम अंतराल मे ही इन सब खराबियों को दूर कर लिया जाता है ।
इस प्रकार, दक्षिणी
अंडमान द्वीप के बिलकुल दक्षिणी छोर पर, समुद्र से तकरीबन 200 फीट की ऊंचाई पर स्थित मैं अपने विभाग का एक सजग प्रहरी हूँ, और इस वन प्रदेश मे रहते
हुए देश और समाज की निरंतर सेवा मे
लगा हुआ हूँ । जब आप जैसे प्रेमी सैलानी मिल जाते है तो अपने मन के भावों को आपके
साथ बाँट लेता हूँ ।
No comments:
Post a Comment