Saturday, 8 February 2014

रम जा रे पागल मनुवा


रम जा रे पागल मनुवा

रम जा रे,पागल मनवा,श्रीगुरु चरणन मे ,
श्रीगुरु चरणन से पावन इहाँ कछु नहीं रे ।
भवसागर  तारन वाला, वही है खेवैया,
मान ले मनवा,ओ रे चंचल,पागल मनवा ।

रम जा रे,पागल मनवा आशु दरबार मे ,
पुनीत पावन ब्रह्म ज्ञान की दीक्षा देकर,
बाबा आशुतोष करेंगे,सबका बेड़ा पार रे,
मान ले मनवा,ओ रे चंचल,पागल मनवा ।

जब श्वशों मे, नाम बसेगा सृजन हार का,
दिव्य चक्षु से,दर्शन होगा  तारनहार का,
ब्रह्मनाद तो गुंजेंगा बधिरों के भी कानों मे,
चख अमृत  भवसागर हो जाएगा पार रे।

अरे जाग जा चंचल मनवा, मान ले कहना,
रम जा रे,पागल मनवा, श्रीगुरु चरणन मे ।